तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा By हज़ार दास्तान ए इश्क़, Sher तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें Share on: