वो सूरत देख कर अपनी ये सूरत ही नहीं रहती By Sher << ये लाश-ए-बे-कफ़न 'असद... कुफ़्र और दीं में तग़ायर ... >> वो सूरत देख कर अपनी ये सूरत ही नहीं रहती तरस आए तो क्या आए उसे मेरी मुसीबत पर Share on: