yaro shab-e-firaq main roya hun is qadar

By unknownFebruary 8, 2022
yaro shab-e-firaq main roya hun is qadar
tha chauthe aasman pe pani kamar kamar
यह शे’र अपनी स्थिति की दृष्टि से बहुत दिलचस्प है। इसमें शब-ए-फ़िराक़ के अनुरूप रोना
रोने के संदर्भ से पानी


और पानी के संदर्भ से कमर कमर बहुत ख़ूब है। इसमें विरह की रात में रोने की घटना को धरती से आकाश तक पहुंचा दिया गया है और यही बात इस शे’र को सौन्दर्य प्रदान करती है। शायर कहता है कि मैं अपने महबूब की जुदाई में सारी रात इतना रोया हूँ कि मेरे आँसूओं का पानी ज़मीन से चौथे आसमान तक पहुँच गया और चौथे आसमान पर भी पानी कमर तक जमा हो गया। शायरी की एक विशेषता अतिशयोक्ति भी है। आप इस शे’र में अतिशयोक्ति की स्थिति को महसूस कर सकते हैं कि मेरे रोने से आकाश तक सब कुछ पानी पानी हो गया है।
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