ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह By Sher << कुफ़्र और दीं में तग़ायर ... वो हाथ उन के चूमती है मैं... >> ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता Share on: