ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है By Sher << ये ज़ुल्फ़-बर-दोश कौन आया... ये साल भी उदासियाँ दे कर ... >> ये तो इक रस्म-ए-जहाँ है जो अदा होती है वर्ना सूरज की कहाँ सालगिरह होती है Share on: