दुआ मांगी थी आशियाने की Admin खुशी की शायरी, अन्य << ख्वाहिश तो न थी खिल सको तो फुल की तरह खि... >> दुआ मांगी थी आशियाने की,चल पड़ी आंधियां ज़माने की...मेरे गम को कोई समझ न पाया,मुझे आदत थी मुस्कुराने की... Share on: