हम तो ठहरे ही रहे झील के पानी की तरह दरिया बन के बहते तो Admin अन्य << लुटेरे दिल के हो या पतंग ... शाम तक सुबह की नज़रों से उ... >> हम तो ठहरे ही रहे झील के पानी की तरह दरिया बन के बहते तो न जाने कितने दूर निकल जाते ..... Share on: