हर किसी के हाथों बिकने को तैयार नहीं है ये मेरा दिल है तेरे शहर का Admin अखबार पर शायरी, अन्य << तेरा अंदाज़-ए-शायरी* *भी क... सच सुनने से ना जाने क्यों... >> हर किसी के हाथों बिकने को तैयार नहीं हैये मेरा दिल है तेरे शहर का अख़बार नहीं है Share on: