मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती

By April 18, 2018
मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है जुनूं मंजिल का
राहों में बचाता है भटकने से मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है
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