साज़िशें लाखो बनती हें मेरी 'हस्ती' मिटाने की Admin खुशी की शायरी, अन्य << मेरी लिखी किताब हम फिर उनके रूठ जाने पर फ... >> साज़िशें लाखो बनती हें मेरी 'हस्ती' मिटाने की...बस 'दुआयें' आप लोगों की उन्हें 'मुकम्मल' नही होने देती. Share on: