जुल्फें बांधा मत करो तुम Admin नाराज दोस्त की शायरी, इश्क << ए खुदा मोहूबत भी तूने अजी... तेरा इश्क़ मैं कैसे छोड़ ... >> जुल्फें बांधा मत करो तुम,हवायें नाराज़ रहती है। Share on: