स्मशान के बाहर लिखा था मंजिल तो तेरी यही थी Admin ज़िन्दगी << एकता मिट्टी ने की तो ईंट... भगवान को मंदिर से ज्यादा ... >> स्मशान के बाहर लिखा थामंजिल तो तेरी यही थी,बस जिन्दगी गुजर गई आते आते.क्या मिला तुझे इस दुनिया को सता के,अपनों ने ही जला दिया तुझे जाते जाते । Share on: