चलता रहूँगा पथ पर चलने में माहिर बन जाऊंगा या तो मंजिल मिल जाएँगा या अच्छा मुसाफिर बन Admin माही शायरी, दर्द << बग़ैर जिसके एक पल भी गुज़... कैसे करूँ मैं साबित >> चलता रहूँगा पथ परचलने में माहिर बन जाऊंगाया तो मंजिल मिल जाएँगाया अच्छा मुसाफिर बन जाऊंगा Share on: