बहुत लड़खड़ाए कदम Admin महक शायरी, प्रेम << घर कभी आये नही अब कब्र पर... एक बचपन का जमाना था >> बहुत लड़खड़ाए कदम. मगर हम बहके नही...फिर भी, लोग हम्हे संभला हुआ कहते नही...कितनी दफा खिले हम, कितनी दफा मुरझायेऐसे फूल है हम जो किसी को कभी महके नही...'' Share on: