हुजूर लाजमी है महफिलों मे बवाल होना शायरी कया है, हुस्न << चुपचाप चल रहे थे ज़िन्दगी ... बहुत तारीफ करता था मैं उस... >> हुजूर लाजमी है महफिलों मे बवाल होनाएक तो हुस्न कयामत उस पे होठो का लाल होना! Share on: