ग़ज़लआन को दें ईमान पे तरजीह, वाह रे वाहवहशी को इंसान पे तरजीह, वाह रे वाहमात्रा मोड़ के, कायदे तोड़ के, बोले गुरजीदीजो बहर को ज्ञान पे तरजीह, वाह रे वाहख़ुद तो 'सुबहू', 'ईमां', 'सामां' लिखके खिसके-'नादां' को 'नादान' पे तरजीह, वाह रे वाहचार छूट जब तुमने ली, दो हम क्यूं ना लें !?गुज़रे को उन्वान पे तरजीह, वाह रे वाहसंस्कृत बोलो, फ़ारसी बोलो, ख़ुश भी हो लोमुश्क़िल को आसान पे तरजीह, वाह रे वाहअढ़सठ तमग़े, साठ डिग्रियां, बातें थुलथुलमैल को जैसे कान पे तरजीह, वाह रे वाहअकादमिक बाड़े में अदब के साथ कबाड़े-रट्टू को गुनवान पे तरजीह, वाह रे वाहदुधमुही मूरत, मीठा साग़र, अफ़ीमी सीरत-सूरत को विज्ञान पे तरजीह, वाह रे वाहसूरत-मूरत, छबियां-डिबियां, मिलना-जुलनाज़ाहिर को ईमान पे तरजीह, वाह रे वाह(गुरजी=गुरुजी=उस्ताद)-संजय ग्रोवर