अभी कुछ दिन लगेंगे दिल ऐसे शहर के पामाल हो जाने का मंज़र भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे जहान-ए-रंग के सारे ख़स-ओ-ख़ाशाक सब सर्व ओ सनोबर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे थके हारे हुए ख़्वाबों के साहिल पर कहीं उम्मीद का छोटा सा इक घर बनते बनते रह गया है वो इक घर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे मगर अब दिन भी कितने रह गए हैं