तुम किसी के हो गए तो मै फ़ना हो जाऊंगा।बस किताबो में लिखा इक फ़लसफ़ा हो जाऊंगा।।गर जुदा रब ने किया तो कुछ नहीं बोलूंगा पर।जो जमाने ने किया तो ज़लज़ला हो जाऊंगा।।क़ब्र पर मेरी जो आकर तुम कभी आवाज़ दो।आपकी ख़ातिर मैं जिंदा हर दफ़ा हो जाऊंगा।।आज भी मेरी वफ़ा की कसमें खाता है जहां।बस तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा।।दूर कब तक तुम रहोगे है मुझे आख़िर पता।एक दिन शामिल तुझी में शर्तिया हो जाऊंगा।। कवि गोपाल पाठक (कृष्णा) बरेली,उप्र