तुम किसी के हो गए तो मै फ़ना हो जाऊंगा।

तुम किसी के हो गए तो मै फ़ना हो जाऊंगा।
बस किताबो में लिखा इक फ़लसफ़ा हो जाऊंगा।।

गर जुदा रब ने किया तो कुछ नहीं बोलूंगा पर।
जो जमाने ने किया तो ज़लज़ला हो जाऊंगा।।

क़ब्र पर मेरी जो आकर तुम कभी आवाज़ दो।
आपकी ख़ातिर मैं जिंदा हर दफ़ा हो जाऊंगा।।

आज भी मेरी वफ़ा की कसमें खाता है जहां।
बस तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊंगा।।

दूर कब तक तुम रहोगे है मुझे आख़िर पता।
एक दिन शामिल तुझी में शर्तिया हो जाऊंगा।।

कवि गोपाल पाठक (कृष्णा)
बरेली,उप्र

कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था

कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था
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सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।

किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो

किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो,
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो,
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना,
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो।

मेरे दिल की दुनिया पे तेरा ही राज था।

मेरे दिल की दुनिया पे तेरा ही राज था।
कभी तेरे सीर पर भी वफाओ का ताज था।
तूने मेरा दिल तोडा पर पता न चला तुझको।
क्योंकि टुटा दिल दीवाने का बे आवाज था।

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