ताजमहल की ये कहानी, अनगिनत रोमांस से भरी,


ताजमहल की ये कहानी, अनगिनत रोमांस से भरी,
मोमबत्ती की रौशनी में, जलते हैं इश्क के दीवाने।
प्रेम का बयान करते, मर्मस्पर्शी मोमबत्तियों के रंग,
ताजमहल की महक में, बजते हैं प्रेम के गीत यहाँ।
जो चुप बयाँ करता, ताज का यह इतिहास है,
मोहब्बत का आबाद किया, मार्बलों के शहर में हमने।
ताजमहल का सौंदर्य, अनगिनत राहतों का आवाज़ है,
प्रेम के पवित्र अनुभवों की कहानी, ताजमहल की ये निवास है।

हे पुरुष,


हे पुरुष,



जब मेघ सदृश्य हो गरजते

फिर मेह समान तुम बरसते

जल में भीगी एक मशाल से

न बुझते ही हो न तुम जलते

कदाचित प्रतीत तुम्हें मात्र

मैं दुर्बल अबला दुखियारी

तेरी सहस्त्र गर्जनाओं पर है

सदैव मेरा एक मौन भारी



दृष्टिकोण क्यों स्वार्थ भरा

निभा प्रत्येक दायित्व मेरा

किंचित विलंब से है उदित

स्वावलंबन का आदित्य मेरा

अथक यत्न और परिश्रम से

एकत्रित आत्मशक्ति सारी

अंतर्मन की किसी कंदरा में

जीवित रख छोड़ी चिंगारी



सहनशील एवं करुणामयी

प्रत्येक स्त्री का गौरव क्षमा

किंतु स्मरण ये रहे अवश्य

स्त्री से संभव सृष्टि रचना

व्यर्थ है ये पुरुषार्थ तुम्हारा

भावना यदि अहम से हारी

निर्लज्ज समाज मौन जब

बनी रणचंडी बांध कटारी



मैं मातृशक्ति हूँ मैं भगिनी

मैं सखी मैं ही सहगामिनी

सर्व स्वरूप हैं आदरणीय

समझो न केवल कामिनी

मैं लक्ष्मी और मैं सरस्वती

मैं ही देवी कालिका संहारी

सृजन कभी तो मर्दन कभी

मैं नारी, मैं नारी, मैं नारी!!!

मुहब्बत मूकदर है कोई ख्वाब नही। वो अदा है जिसमे सब कामयाब नही। जिन्हे इश्क की पनाह

मुहब्बत मूकदर है कोई ख्वाब नही।
वो अदा है जिसमे सब कामयाब नही।
जिन्हे इश्क की पनाह मिली वे चंद है,
जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।
तुम्हारी सूरत को देखूं तो
हीरा कोहिनूर लगती हो।
तुम कोई बडी हस्ती हो,
इस तरह मशहूर लगती हो।
चंचल,शोख अदाएं हैं तेरी,
सो जन्नत की हूर लगती हो।
पर, इस तारीफ को तुम सच्चाई न समझना,
हकीकत में तुम इनसे काफी दूर लगती हो।

क्या खूब मोहब्बत की वफ़ा कर गया मुझे छोड़ने से पहले मेरे लिया दुआ कर गया अगर

क्या खूब मोहब्बत की वफ़ा कर गया
मुझे छोड़ने से पहले मेरे लिया दुआ कर गया
अगर वक़्त का गुनाह है तो सज़ा वक़्त को मिले
मेरे खुदा वो क्यों मुझे रुका रुका सा थमा थमा सा कर आया
क्या खूब मोहब्बत की वफ़ा कर गया
मुझे छोड़ने से पहले मेरे लिया दुआ कर गया ..

जय श्री राधे: राम युग में दूध मिला कृष्ण युग में घी कलयुग में सिर्फ चाय मिली फूंक फूंक

जय श्री राधे:
राम युग में दूध मिला
कृष्ण युग में घी
कलयुग में सिर्फ चाय मिली
फूंक फूंक के पी

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