मा'रिफ़त के लिए आगही के लिएShayari By 20 Apr 2024 05:24:36 AMGhazalमा'रिफ़त के लिए आगही के लिए नूर-ए-हक़ चाहिए रौशनी के लिए जी रहे हैं किसी की ख़ुशी के लिए वर्ना क्या है यहाँ ज़िंदगी के लिए [...] Continue Reading... Share on:
चराग़ सामने वाले मकान में भी न थाShayari By 26 Feb 2024 08:53:04 PMSherचराग़ सामने वाले मकान में भी न था ये सानेहा मिरे वहम-ओ-गुमान में भी न था Continue Reading... Share on:
इक ज़माने तक बदन बे-ख़्वाब बे-आदाब थेShayari By 03 Oct 2023 05:12:42 AMSherइक ज़माने तक बदन बे-ख़्वाब बे-आदाब थे फिर अचानक अपनी उर्यानी का अंदाज़ा हुआ Continue Reading... Share on:
उजाला 'इल्म का फैला तो है चारों तरफ़ यारोShayari By 01 Oct 2023 05:39:45 AMSherउजाला 'इल्म का फैला तो है चारों तरफ़ यारो बसीरत आदमी की कुछ मगर कम होती जाती है Continue Reading... Share on:
उरूज-ए-माह को इंसाँ समझ गया लेकिनShayari By 11 May 2021 02:00:54 AMSherउरूज-ए-माह को इंसाँ समझ गया लेकिन हनूज़ अज़्मत-ए-इंसाँ से आगही कम है Continue Reading... Share on:
जुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेहShayari By 11 Mar 2021 03:36:12 AMSherजुनूँ के कैफ़-ओ-कम से आगही तुझ को नहीं नासेह गुज़रती है जो दीवानों पे दीवाने समझते हैं Continue Reading... Share on: