मा'रिफ़त के लिए आगही के लिएShayari By 20 Apr 2024 05:24:36 AMGhazalमा'रिफ़त के लिए आगही के लिए नूर-ए-हक़ चाहिए रौशनी के लिए जी रहे हैं किसी की ख़ुशी के लिए वर्ना क्या है यहाँ ज़िंदगी के लिए [...] Continue Reading... Share on:
वो तो हश्र था मगर उस की अब वो शबाहतें भी चली गईंShayari By 01 Feb 2024 08:11:21 PMGhazalवो तो हश्र था मगर उस की अब वो शबाहतें भी चली गईं जो रहें तो शहर में क्या रहें कि क़यामतें भी चली गईं तिरे दम से थीं सभी रौनक़ें वो हबीब थे कि रक़ीब थे वो क़राबतें तो गई ही थीं वो रिक़ाबतें भी चली गईं [...] Continue Reading... Share on:
कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़Shayari By 01 Feb 2024 08:02:21 PMGhazalकम पुराना बहुत नया था फ़िराक़ इक 'अजब रम्ज़-आशना था फ़िराक़ दूर वो कब हुआ निगाहों से धड़कनों में बसा हुआ है फ़िराक़ [...] Continue Reading... Share on:
वीरान सराए का दिया हैShayari By 01 Feb 2024 07:53:13 PMGhazalवीरान सराए का दिया है जो कौन-ओ-मकाँ में जल रहा है ये कैसी बिछड़ने की सज़ा है आईने में चेहरा रख गया है [...] Continue Reading... Share on:
कहने को ग़म-ए-हिज्र बड़ा दुश्मन-ए-जाँ हैShayari By 27 Sep 2023 08:00:15 PMSherकहने को ग़म-ए-हिज्र बड़ा दुश्मन-ए-जाँ है पर दोस्त भी इस दोस्त से बेहतर नहीं मिलता Continue Reading... Share on:
बड़ी ही कर्बनाक थी वो पहली रात हिज्र कीShayari By 19 Jul 2023 11:17:02 PMSherबड़ी ही कर्बनाक थी वो पहली रात हिज्र की दोबारा दिल में ऐसा दर्द आज तक नहीं हुआ Continue Reading... Share on: