शैख़ अपनी रग को क्या करें रेशे को क्या करेंShayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherशैख़ अपनी रग को क्या करें रेशे को क्या करें मज़हब के झगड़े छोड़ें तो पेशे को क्या करें Continue Reading... Share on:
अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद मेंShayari By 30 Oct 2020 12:21:11 AMSherअगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में तो शैख़ ओ बरहमन पिन्हाँ रहें दैर ओ मसाजिद में Continue Reading... Share on:
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहींAdmin01 Jan 2017 12:30:00 PMSherमज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं from sectarian debate refrained for i was not so scatter-brained Continue Reading... Share on: