छब्बीस जनवरी

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हर साल जगमगाती है छब्बीस जनवरी
हर सम्त मुस्कुराती है छब्बीस जनवरी

सब के दिलों को भाती है छब्बीस जनवरी
शान-ए-वतन दिखाती है छब्बीस जनवरी [...]

इंक़लाब

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ज़माने की हवा बदली उधर रंग-ए-चमन बदला
गुलों ने जब रविश बदली अनादिल ने वतन बदला

तरीक़ा आश्नाई का कभी ऐसा न बदला था
कि चाल उश्शाक़ ने बदली हसीनों ने चलन बदला [...]

गुलज़ार-ए-वतन

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फूलों का कुंज-ए-दिलकश भारत में इक बनाएँ
हुब्ब-ए-वतन के पौदे इस में नए लगाएँ

फूलों में जिस चमन के हो बू-ए-जाँ-निसारी
हुब्ब-ए-वतन की क़लमें हम इस चमन से लाएँ [...]

आज

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साथियो! मैं ने बरसों तुम्हारे लिए
चाँद तारों बहारों के सपने बुने

हुस्न और इश्क़ के गीत गाता रहा
आरज़ूओं के ऐवाँ सजाता रहा [...]

तराना-ए-क़ौमी

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मर्हबा ऐ ख़ाक-ए-पाक-ए-किश्वर-ए-हिन्दोस्ताँ
यादगार-ए-अहद-ए-माज़ी है तू ऐ जान-ए-जहाँ

कैसे कैसे औलिया गुज़रे और क़ुतुब-ए-ज़माँ
जिन के क़दमों ने बनाया है तुझे जन्नत-निशाँ [...]

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