शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए

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शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला

व्याख्या
जबीं अर्थात माथा। जबीं पर शिकन डालने के कई मायने हैं। जैसे ग़ुस्सा करना, किसी से रूठ जाना आदि। शायर मदिरापान कराने वाले अर्थात अपने महबूब को सम्बोधित करते हुए कहता है कि शराब एक मुस्कुराती हुई चीज़ है और उसे किसी को देते हुए माथे पर बल डालना अच्छी बात नहीं क्योंकि अगर साक़ी माथे पर बल डालकर किसी को शराब पिलाता है तो फिर उस मदिरा का असली मज़ा जाता रहता है। इसलिए मदिरापान कराने वाले पर अनिवार्य है कि वो मदिरापान के नियमों को ध्यान में रखते हुए पीने वाले को शराब मुस्कुरा कर पिलाए। [...]

हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है

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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है

ना-तजरबा-कारी से वाइ'ज़ की ये हैं बातें
इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है [...]

हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है

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हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है

ना-तजरबा-कारी से वाइ'ज़ की ये हैं बातें
इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है [...]

यारो मुझे मुआ'फ़ रखो मैं नशे में हूँ

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यारो मुझे मुआ'फ़ रखो मैं नशे में हूँ
अब दो तो जाम ख़ाली ही दो मैं नशे में हूँ

एक एक क़ुर्त दौर में यूँ ही मुझे भी दो
जाम-ए-शराब पुर न करो मैं नशे में हूँ [...]

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए

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मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए [...]

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