हुस्न शायरी संग्रह | सौंदर्य की कविताएं
20 हुस्न की शायरियां
सौंदर्य और खूबसूरती को बयां करती शायरियों का संग्रह। हर शायरी में झलकता है हुस्न का जलवा।
बड़ी फुर्सत से बनाया है तेरे खुदा ने तुझे
वरना सुरत तेरी इस कदर ना चाँद से मिलती!
वरना सुरत तेरी इस कदर ना चाँद से मिलती!
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मैं हूँ अगर आवारा तो वजह है हुस्न तुम्हारा
ऐसा मैं हरगिज़ नहीं था तेरे दीदार से पहले!
ऐसा मैं हरगिज़ नहीं था तेरे दीदार से पहले!
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शराब बनी तो मैखाने बने
हुस्न बना तो दीवाने बने
कुछ तो बात है आप में
यूंही नहीं हम "पागल खाने" में।
हुस्न बना तो दीवाने बने
कुछ तो बात है आप में
यूंही नहीं हम "पागल खाने" में।
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दिल
अजब शहर था ख्यालों का
लूटा मारा है हुस्न वालों का।
अजब शहर था ख्यालों का
लूटा मारा है हुस्न वालों का।
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चमन में जा के हम ने ग़ौर से औराक़-ए-गुल देखे
तुम्हारे हुस्न की शरहें लिखी हैं इन रिसालों में।
तुम्हारे हुस्न की शरहें लिखी हैं इन रिसालों में।
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तेरे हुस्न को परदे की ज़रूरत ही क्या है ज़ालिम
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
कौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद।
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वो खिलते हुए गुलाब सा है
कि उस का किरदार आब सा है
कोई मुस्सवर जो देखे उस को यही कहे लाजवाब सा है
हया की ज़िंदा मिसाल है वो
मगर यह कमबख्त पर्दा देखो
देखने से रोकता है इस हुस्न को
चेहरे पर यह जो नक़ाब सा है।
कि उस का किरदार आब सा है
कोई मुस्सवर जो देखे उस को यही कहे लाजवाब सा है
हया की ज़िंदा मिसाल है वो
मगर यह कमबख्त पर्दा देखो
देखने से रोकता है इस हुस्न को
चेहरे पर यह जो नक़ाब सा है।
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तरस गए आपके दीदार को
फिर भी दिल आप ही को याद करता है
हमसे खुशनसीब तो आइना है आपका
जो हर रोज़ आपके हुस्न का दीदार करता है।
फिर भी दिल आप ही को याद करता है
हमसे खुशनसीब तो आइना है आपका
जो हर रोज़ आपके हुस्न का दीदार करता है।
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फ़क़त इस शौक़ में पूछी हैं हज़ारों बातें
मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयाँ तक देखूँ।
मैं तेरा हुस्न तेरे हुस्न-ए-बयाँ तक देखूँ।
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चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है
आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो तो अपने पे गुरूर आ जाता है
तुम हुस्न की खुद एक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है।
आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो तो अपने पे गुरूर आ जाता है
तुम हुस्न की खुद एक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है।
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हुस्न वालों को क्या जरूरत है संवरने की
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं।
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हुस्न का क्या काम है सच्ची मोहब्बत में यारो
जब आँख मजनू हो तो लैला हसीन ही लगती है।
जब आँख मजनू हो तो लैला हसीन ही लगती है।
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इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए
उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए
चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर
जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए
चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर
जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए।
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आयें हैं उसी मोड पे लेकिन अपना नही यहाँ अब कोई
इस शहर ने इस दीवाने को ठुकराया है बार-बार
माना कि तेरे हुस्न के काबिल नही हूँ मैं
पर यह कमबख्त इश्क तेरे दर पे हमें लाया है बार-बार।
इस शहर ने इस दीवाने को ठुकराया है बार-बार
माना कि तेरे हुस्न के काबिल नही हूँ मैं
पर यह कमबख्त इश्क तेरे दर पे हमें लाया है बार-बार।
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हुस्न भी था
कशिश भी थी
अंदाज़ भी था
नक़ाब भी था
हया भी थी
प्यार भी था
अगर कुछ ना था तो बस इकरार।
कशिश भी थी
अंदाज़ भी था
नक़ाब भी था
हया भी थी
प्यार भी था
अगर कुछ ना था तो बस इकरार।
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ढाया खुदा ने ज़ुल्म हम दोनों पर
तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क़ देकर।
तुम्हें हुस्न देकर और मुझे इश्क़ देकर।
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तेरे इश्क का बुखार है मुझको
और हर चीज खाने की मनाही है
एक हुस्न के हकीम ने सिर्फ
तेरे चमन की मौसमी बताई है।
और हर चीज खाने की मनाही है
एक हुस्न के हकीम ने सिर्फ
तेरे चमन की मौसमी बताई है।
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इश्क़ की बंदगी दी है तो हुस्न की इबादत जरूरी है
इश्क़ से जीने की आस रहेगी और हुस्न से तड़प का सकून।
इश्क़ से जीने की आस रहेगी और हुस्न से तड़प का सकून।
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नक़ाब क्या छुपाएगा शबाब-ए-हुस्न को
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।
निगाह-ए-इश्क तो पत्थर भी चीर देती है।
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चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं
बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।
मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं
बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो
इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।
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