नज़्म शायरी संग्रह | फ्री वर्स कविताएं
एक फ्री वर्स कविता की छवि
फ्री वर्स शायरी की सुंदरता को बयां करती एक विशेष नज़्म शायरी। आधुनिक शैली में भावनाओं की अभिव्यक्ति।
अभी कुछ दिन लगेंगे
दिल ऐसे शहर के पामाल हो जाने का मंज़र भूलने में
अभी कुछ दिन लगेंगे
जहान-ए-रंग के सारे ख़स-ओ-ख़ाशाक सब सर्व ओ सनोबर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे
थके हारे हुए ख़्वाबों के साहिल पर कहीं उम्मीद का छोटा सा इक घर
बनते बनते रह गया है
वो इक घर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे
मगर अब दिन भी कितने रह गए हैं
दिल ऐसे शहर के पामाल हो जाने का मंज़र भूलने में
अभी कुछ दिन लगेंगे
जहान-ए-रंग के सारे ख़स-ओ-ख़ाशाक सब सर्व ओ सनोबर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे
थके हारे हुए ख़्वाबों के साहिल पर कहीं उम्मीद का छोटा सा इक घर
बनते बनते रह गया है
वो इक घर भूलने में अभी कुछ दिन लगेंगे
मगर अब दिन भी कितने रह गए हैं
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