शराब शायरी संग्रह | मय की महफ़िल

12 शराब की शायरियां

मय और मयखाने के रूपक से जीवन की गहराइयों को बयां करती शायरियों का संग्रह। हर शायरी में छिपा है गहरा फलसफा।

रौशनी करता हूँ अँधेरा मिटाने के लिए
रौशनी करता हूँ अँधेरा मिटाने के लिए

शराब पीता हूँ मैं तुझको भुलाने के लिए



क्यों न बन सकी तुम मेरी ज़िंदगी

आज भी रोता हूँ सोच कर गुज़रे ज़माने के लिए।

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प्यार के नाम पे यहाँ तो लोग खून पीते हैं
प्यार के नाम पे यहाँ तो लोग खून पीते हैं

मुझे खुद पे नाज़ है कि मैं सिर्फ शराब पीता हूँ।

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यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं

मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे।

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कुछ तो शराफत सीख़ ले ऐ मोहब्बत तू शराब से
कुछ तो शराफत सीख़ ले ऐ मोहब्बत तू शराब से

बोतल पर कम से कम लिखा तो होता है कि मैं जानलेवा हूँ।

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मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है
मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है

बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है।

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मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की
मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की

वरना हम कभी महक तो कभी बहक क्यों जाते।

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​यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा​ शराब से​
​यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा​ शराब से​

​ इश्क की राहों में तन्हा मिली​ हमसफ़र बन गई....

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ये इश्क भी नशा-ए-शराब जैसा है
ये इश्क भी नशा-ए-शराब जैसा है
यारो

करें तो मर जाएँ और छोड़े तो किधर जाएँ।

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मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती

मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती



सब जानते है मैं शरब नहीं पीता

मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती।

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छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली
छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली

कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।

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हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है
हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है

तो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए।

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हर बात का कोई जवाब नही होता
हर बात का कोई जवाब नही होता

हर इश्क का नाम खराब नही होता



यूँ तो झूम लेते हैं नशे में पीने वाले

मगर हर नशे का नाम शराब नही होता।

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