शेर शायरी का विशाल संग्रह | भावपूर्ण काव्य रचनाएं

4939 शानदार शेर शायरी चित्र

हिंदी साहित्य का सबसे विशाल शेर शायरी संग्रह। हर भाव, हर रस और हर विषय पर लिखी गई अनमोल रचनाएं।

गर्मी जो आई घर का हवा-दान खुल गया
गर्मी जो आई घर का हवा-दान खुल गया
साहिल पे जब गया तो हर इंसान खुल गया

- khalid-irfan


सितम-ए-गर्मी-ए-सहरा मुझे मालूम न था
सितम-ए-गर्मी-ए-सहरा मुझे मालूम न था
ख़ुश्क हो जाएगा दरिया मुझे मालूम न था

- kamal-jafari


अजब नहीं कि ये दरिया नज़र का धोका हो
अजब नहीं कि ये दरिया नज़र का धोका हो
अजब नहीं कि कोई रास्ता निकल आए

- irfan-siddiqi


मैं अपनी अंगुश्त काटता था कि बीच में नींद आ न जाए
मैं अपनी अंगुश्त काटता था कि बीच में नींद आ न जाए
अगरचे सब ख़्वाब का सफ़र था मगर हक़ीक़त में आ बसा हूँ

- azm-bahzad


मुझ को मरने न दिया शे'र उतारे मुझ पर
मुझ को मरने न दिया शे'र उतारे मुझ पर
इश्क़ ने बस ये मिरे साथ रिआ'यत की थी

- ammar-yasir-migsi


तिरे बदन की ख़लाओं में आँख खुलती है
तिरे बदन की ख़लाओं में आँख खुलती है
हवा के जिस्म से जब जब लिपट के सोता हूँ

- ameer-imam


तअ'ल्लुक़ात की गर्मी न ए'तिबार की धूप
तअ'ल्लुक़ात की गर्मी न ए'तिबार की धूप
झुलस रही है ज़माने को इंतिशार की धूप

- ali-abbas-ummeed


ये इश्क़ पेशगी दार-ओ-रसन के हंगामे
ये इश्क़ पेशगी दार-ओ-रसन के हंगामे
ये रंग ज़िंदा सलामत है यानी हम अभी हैं

- ahmad-ata


तारीफ़ तेरे हुस्न की आती है ग़ैब से
तारीफ़ तेरे हुस्न की आती है ग़ैब से
मेरे क़लम के साथ तो यकसर नहीं हूँ मैं

- hijr-momin


तमाम शहर पे इक ख़ामुशी मुसल्लत है
तमाम शहर पे इक ख़ामुशी मुसल्लत है
अब ऐसा कर कि किसी दिन मिरी ज़बाँ से निकल

- abhishek-shukla


ये ज़िंदगी जो पुकारे तो शक सा होता है
ये ज़िंदगी जो पुकारे तो शक सा होता है
कहीं अभी तो मुझे ख़ुद-कुशी नहीं करनी

- swappnil-tiwari


मेरे ता'वीज़ में जो काग़ज़ है
मेरे ता'वीज़ में जो काग़ज़ है
उस पे लिक्खा है मोहब्बत करना

- swappnil-tiwari


खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा
खुले मिलते हैं मुझ को दर हमेशा
मिरे हाथों में दस्तक भर गई है

- swappnil-tiwari


और कम याद आओगी अगले बरस तुम
और कम याद आओगी अगले बरस तुम
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से

- swappnil-tiwari


वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गया
वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गया
ये चाँद किस को ढूँडने निकला है शाम से

- adil-mansuri


अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है
जिस ने डाली बुरी नज़र डाली

- alamgir-khan-kaif


हम न कहते थे कि नक़्श उस का नहीं नक़्क़ाश सहल
हम न कहते थे कि नक़्श उस का नहीं नक़्क़ाश सहल
चाँद सारा लग गया तब नीम-रुख़ सूरत हुई

- meer-taqi-meer


मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस
मौत उस की है करे जिस का ज़माना अफ़्सोस
यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए

- unknown


उर्दू है जिस का नाम हमारी ज़बान है
उर्दू है जिस का नाम हमारी ज़बान है
दुनिया की हर ज़बान से प्यारी ज़बान है

- dattatriya-kaifi


किस ने आबाद किया है मरी वीरानी को
किस ने आबाद किया है मरी वीरानी को
इश्क़ ने? इश्क़ तो बीमार पड़ा है मुझ में

- anjum-saleemi


हम न उर्दू में न हिन्दी में ग़ज़ल कहते हैं
हम न उर्दू में न हिन्दी में ग़ज़ल कहते हैं
हम तो बस आप की बोली में ग़ज़ल कहते हैं

- urmilesh


ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ
हम अपने शहर में होते तो घर गए होते

- ummeed-fazli


यादों के शबिस्तान में बैठा हुआ साइल
यादों के शबिस्तान में बैठा हुआ साइल
तन्हा जो नज़र आता है तन्हा नहीं होता

- sayil-imran


कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ

- sahir-ludhianvi


ज़िंदगी बस मुस्कुरा के रह गई
ज़िंदगी बस मुस्कुरा के रह गई
क्यों हमें नाहक़ रिझा के रह गई

- nami-nadri