जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाये

By January 1, 2017
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाये

शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाये



जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगी

तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाये।
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