खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता

By January 1, 2017
खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता
खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता

किया जाता है पानी में सफ़र आहिस्ता आहिस्ता



कोई ज़ंजीर फिर वापस वहीं पर ले के आती है

कठिन हो राह तो छूटता है घर आहिस्ता आहिस्ता।
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