फ़राज़ अब कोई सौदा​

By January 1, 2017
फ़राज़ अब कोई सौदा​
फ़राज़ अब कोई सौदा​...

​ फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं​



​ मगर क़रार से दिन कट रहे हों यूँ भी नहीं​


​ लब-ओ-दहन भी मिला गुफ़्तगू का फ़न भी मिला​



​ मगर जो दिल पे गुज़रती है कह सकूँ भी नहीं​




मेरी ज़ुबाँ की लुक्नत से बदगुमाँ न हो ​

जो तू कहे तो तुझे उम्र भर मिलूँ भी नहीं​




​​ "फ़राज़" जैसे कोई दिया तुर्बत-ए-हवा चाहे है​
​​
​ तू पास आये तो मुमकिन है मैं रहूँ भी नहीं​।
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