बात करनी मुझे

By January 1, 2017
बात करनी मुझे
बात करनी मुझे...

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी



जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी


ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार



बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी




उन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू

के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी




चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन

जैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी




क्या सबब तू जो बिगड़ता है 'ज़फ़र' से हर बार



ख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी।
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