तेरी ख़ुशी से अगर
By January 1, 2017

तेरी ख़ुशी से अगर ...
तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी न हुई
वो जिंदगी तो मोहब्बत की जिंदगी न हुई
किसी की मस्त निगाही ने हाथ थाम लिया
शरीके हाल जहाँ मेरी बेखुदी न हुई
ख्याल-ए-यार सलामत तुझे खुदा रखे
तेरे बगैर कभी घर में रोशनी न हुई
इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी
कि हमने आह तो की उनसे आह भी न हुई
गए थे हम भी 'जिगर' जलवा गाहे-जानाँ में
वो पूछते ही रहे हम से बात भी न हुई।
तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी न हुई
वो जिंदगी तो मोहब्बत की जिंदगी न हुई
किसी की मस्त निगाही ने हाथ थाम लिया
शरीके हाल जहाँ मेरी बेखुदी न हुई
ख्याल-ए-यार सलामत तुझे खुदा रखे
तेरे बगैर कभी घर में रोशनी न हुई
इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी
कि हमने आह तो की उनसे आह भी न हुई
गए थे हम भी 'जिगर' जलवा गाहे-जानाँ में
वो पूछते ही रहे हम से बात भी न हुई।
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