आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त

By January 1, 2017
आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त
आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त

कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो।
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