दस्तूर-ए-उल्फ़त वो निभाते नहीं हैं Admin भाई दूज हिंदी शायरी, Sad << आग से सीख लिया हम ने यह क... दस्तूर-ए-उल्फ़त वो निभाते नहीं हैंजनाब महफ़िल में आते ही नहीं हैंहम सजाते हैं महफ़िल हर शामएक वो हैं जो कभी तशरीफ़ लाते ही नहीं हैं!This is a great दस्तूर शायरी. Share on: