कभी मधुर कभी मीठी ज़बाँ का शाइ'र हूँ इसी सनद से मैं हिन्दोस्ताँ का शाइ'र हूँ दिखेंगे मुझ में तुम्हें ज़ख़्म घाव दोनो ही ख़िलाफ़-ए-ज़ुल्म के आजिज़ बयाँ का शाइ'र हूँ मैं अपनी फ़िक्र को महदूद रख नहीं सकता ज़मीन-ओ-अर्श मकीन-ओ-मकाँ का शाइ'र हूँ गुमान कहता है के मैं यक़ीं का शाइ'र हूँ यक़ीन कहता है के मैं गुमाँ का शाइ'र हूँ जहाँ है ज़र्रा क़मर और जहाँ क़मर ज़र्रा मैं उस ज़मीं का मैं उस आसमाँ का का शाइ'र हूँ अभी मुझे न सुख़नवर कहो मिरे अहबाब अभी सुख़न में फ़क़त इम्तिहाँ का शाइ'र हूँ मुझे न देखो यूँ नफ़रत भरी निगाहों से मैं 'हाशमी' हूँ मैं अम्न-ओ-अमाँ का शाइ'र हूँ