गुम्बद-ए-मदफ़न है या है आसमाँ बाला-ए-सर ये मकीं रखते हैं सब अपने मकाँ बाला-ए-सर यूँ लिए हों हश्र में बार-ए-गराँ बाला-ए-सर दोश पर ख़ुम है गुनह की गठरियाँ बाला-ए-सर छोटी सी कश्ती बना है आसमाँ बाला-ए-सर सैल-ए-अश्क इस तरह चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ बाला-ए-सर ज़ेर-ए-मस्जिद मय-कदा मैं मय-कदे में मस्त-ए-ख़्वाब चौंक उठा जब दी मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ बाला-ए-सर हम हैं सोए साया-ए-गुल में नहीं इतना ख़याल ऐ अनादिल इस तरह शोर-ए-फ़ुग़ाँ बाला-ए-सर नख़्ल-ए-गुल की तरह दीवानों से भी मानूस हैं लेते हैं बुलबुल जगह ऐ बाग़बाँ बाला-ए-सर ये निराली तेरी ख़िल्क़त शम्अ' उस पर हुस्न भी हम ने देखी एक तेरी ही ज़बाँ बाला-ए-सर ख़ुश किया यूँ बाग़ में ला कर मुझे सय्याद ने शाख़ के नीचे क़फ़स है आशियाँ बाला-ए-सर बेचते फिरते हैं मय हम इस तरह रस्ते गली जा-ए-ख़ुम छोटी सी है मय की दुकाँ बाला-ए-सर रहम कर मालिक कि मैं दो दो फ़रिश्ते भी लदे और फिर इस्याँ का भी बार-ए-गराँ बाला-ए-सर पीछे पीछे कारवाँ के हम थके-माँदे हैं यूँ पाँव में छाले हैं गर्द-ए-कारवाँ बाला-ए-सर पाँव के नीचे से निकली जाती है यारब ज़मीं खा रहे हैं चक्कर इतने आसमाँ बाला-ए-सर मैं वो हूँ महशर के प्यासों को पिलाऊँ तौ सही हौज़-ए-कौसर होगा ऐ पीर-ए-मुग़ाँ बाला-ए-सर आतिश-ए-रंग-ए-हिना-ओ-ज़ुल्फ़-ए-पेचाँ देखिए आग तलवों में लगी निकला धुआँ बाला-ए-सर लेने जाता है हरम से क्या कहीं तुम को 'रियाज़' ताक़ पर रक्खी है बोतल मेहरबाँ बाला-ए-सर