जब तिरा इंतिज़ार होता है दिल बहुत बे-क़रार होता है दिल पे चलता है इख़्तियार उन का जब ये बे-इख़्तियार होता है इश्क़ होता है हुस्न का हम-सर जब ये ख़ुद इख़्तियार होता है वो मुझे बे-क़रार करने को पहले ख़ुद बे-क़रार होता है हिर्स-ए-शोहरत नहीं तो रोना क्यूँ नाला भी इश्तिहार होता है दोस्त कह कर न दे फ़रेब ऐ दोस्त दोस्त पर ए'तिबार होता है नाज़नीं हैं कब ऐसे लोग 'सफ़ी' जिन का एहसान बार होता है