बिला उनवान By Nazm << मुझे ख़बर है मुझे यक़ीं ह... कि दर गुफ़्तन नमी आयद >> आँख वा थी होंट चुप थे इक रिदा-ए-यख़ हवा ने ओढ़ ली थी जबीं ख़ामोश सज्दे बे-ज़बाँ थे आगे इक काला समुंदर पीछे सुब्ह-ए-आतिशीं थी और जब लम्हे रवाँ थे हम कहाँ थे Share on: