इक शख़्स कर रहा है अभी तक वफ़ा का ज़िक्र By Sher << एक सुरूद-ए-रौशनी नीमा-ए-श... इक हुस्न-ए-बे-मिसाल की तम... >> इक शख़्स कर रहा है अभी तक वफ़ा का ज़िक्र काश उस ज़बाँ-दराज़ का मुँह नोच ले कोई Share on: