कभी तमाम तो कर बद-गुमानियों का सफ़र By सफ़र, Sher << ख़बर है कोई चारागर आएगा जिस को चाहा बस उसी का रास... >> कभी तमाम तो कर बद-गुमानियों का सफ़र किसी बहाने किसी रोज़ आज़मा तो सही Share on: