सिसकती आरज़ू का दर्द हूँ फ़ुटपाथ जैसा हूँ By Sher << कभी ख़ुद को छू कर नहीं दे... न उस का अंत है कोई न इस्त... >> सिसकती आरज़ू का दर्द हूँ फ़ुटपाथ जैसा हूँ कि मुझ में छटपटाता शहर-ए-कलकत्ता भी रहता है Share on: