कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं हुस्न तारीफ शायरी, मौसम << इन बादलो का मिजाज मेरे मे... जो ख़ुलूस से मिलता है बरस ... >> कुछ अपना अंदाज हैं कुछ मौसम रंगीन हैं,तारीफ करूँ या चुप रहूँ, जुर्म दोनो ही संगीन हैं! Share on: