मैं ये किस के नाम लिक्खूँ जो अलम गुज़र रहे हैंShayari By 02 Feb 2024 07:43:19 AMGhazalमैं ये किस के नाम लिक्खूँ जो अलम गुज़र रहे हैं मिरे शहर जल रहे हैं मिरे लोग मर रहे हैं कोई ग़ुंचा हो कि गुल हो कोई शाख़ हो शजर हो वो हवा-ए-गुलसिताँ है कि सभी बिखर रहे हैं [...] Continue Reading... Share on:
ख़ुद-कुशीShayari By 16 Aug 2021 08:16:58 AMMazahiyaरहीमुल्लाह हुआ अच्छा तो उस ने ये देखा हो चुकी है ''पार्टीशन'' गए कुछ भाग और कुछ मर चुके हैं न नेता-सिंह बाक़ी है न भीषन [...] Continue Reading... Share on:
हर एक कूचा है साकित हर इक सड़क वीराँShayari By 19 May 2021 01:34:07 PMSherहर एक कूचा है साकित हर इक सड़क वीराँ हमारे शहर में तक़रीर कर गया ये कौन Continue Reading... Share on:
घरों में क़ैद हैं बस्ती के शोरफ़ाShayari By 04 Dec 2020 03:49:18 AMSherघरों में क़ैद हैं बस्ती के शोरफ़ा सड़क पर हैं फ़सादी और गुंडे Continue Reading... Share on:
जले मकानों में भूत बैठे बड़ी मतानत से सोचते हैंShayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherजले मकानों में भूत बैठे बड़ी मतानत से सोचते हैं कि जंगलों से निकल कर आने की क्या ज़रूरत थी आदमी को Continue Reading... Share on:
अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिएShayari By 23 Nov 2020 08:14:39 PMGhazalअश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए अब मिरे पास ख़ज़ाना है लुटाने के लिए ऐसी दफ़अ' न लगा जिस में ज़मानत मिल जाए मेरे किरदार को चुन अपने निशाने के लिए [...] Continue Reading... Share on: