इंक़िलाबी औरतShayari By 21 Apr 2024 02:13:11 PMNazmरणभूमी में लड़ते लड़ते मैं ने कितने साल इक दिन जल में छाया देखी चट्टे हो गए बाल पापड़ जैसी हुईं हड्डियाँ जलने लगे हैं दाँत जगह जगह झुर्रियों से भर गई सारे तन की खाल [...] Continue Reading... Share on:
इंक़िलाबी औरतShayari By 25 Sep 2021 11:09:39 AMNazmरणभूमी में लड़ते लड़ते मैं ने कितने साल इक दिन जल में छाया देखी चट्टे हो गए बाल पापड़ जैसी हुईं हड्डियाँ जलने लगे हैं दाँत जगह जगह झुर्रियों से भर गई सारे तन की खाल [...] Continue Reading... Share on:
इन्क़िलाबात-ए-दहर की बुनियादShayari By 17 Mar 2021 11:40:14 PMSherइन्क़िलाबात-ए-दहर की बुनियाद हक़ जो हक़दार तक नहीं पहुँचा Continue Reading... Share on:
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिएShayari By 28 Jan 2021 10:18:59 PMHindi Ghazalsहो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए [...] Continue Reading... Share on:
इंक़लाब-ए-हिन्दShayari By 19 Feb 2021 12:17:16 AMNazmबारहा देखा है तू ने आसमाँ का इंक़लाब खोल आँख और देख अब हिन्दोस्ताँ का इंक़लाब मग़रिब ओ मशरिक़ नज़र आने लगे ज़ेर-ओ-ज़बर इंक़लाब-ए-हिन्द है सारे जहाँ का इंक़लाब [...] Continue Reading... Share on:
दावत-ए-इंक़िलाबShayari By 24 Nov 2020 09:45:23 AMNazmक्या लेगा ख़ाक-ए-मुर्दा-ओ-उफ़्तादा बन के तू तूफ़ान बन कि है तिरी फ़ितरत में इंक़लाब क्यूँ टिमटिमाए किर्मक-ए-शब-ताब की तरह बन सकता है तू औज-ए-फ़लक पर अगर शहाब [...] Continue Reading... Share on: