कहा ये मैं ने कि अपनी आँखों में ख़्वाब रखना

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कहा ये मैं ने कि अपनी आँखों में ख़्वाब रखना
कहा ये उस ने कि आँख रखना 'अज़ाब रखना

ये मैं ने पूछा था लोग क्यूँ मर रहे हैं इतने
जवाब आया तुम उन के ख़ूँ का हिसाब रखना [...]

मैं ने कहा कि शहर में एक चराग़ भी नहीं

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मैं ने कहा कि शहर में एक चराग़ भी नहीं
उस ने कहा कि ज़ख़्म भी क्या नहीं दाग़ भी नहीं

मैं ने कहा कि आख़िरश मुझ को ख़ुदा न मिल सका
उस ने कहा कि मेरे पास अपना सुराग़ भी नहीं [...]

उस ने कहा हस्ती तिरी मैं ने कहा जल्वा तिरा

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उस ने कहा हस्ती तिरी मैं ने कहा जल्वा तिरा
उस ने कहा फिर नीस्ती मैं ने कहा पर्दा तिरा

उस ने कहा जाना मिरा मैं ने कहा मेरी अजल
उस ने कहा फिर ज़िंदगी मैं ने कहा आना तिरा [...]

मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो

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मैं ने कहा कि शहर के हक़ में दुआ करो
उस ने कहा कि बात ग़लत मत कहा करो

मैं ने कहा कि रात से बिजली भी बंद है
उस ने कहा कि हाथ से पंखा झला करो [...]

शायर-ए-आज़म

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कल इक अदीब ओ शाएर ओ नाक़िद मिले हमें
कहने लगे कि आओ ज़रा बहस ही करें

करने लगे ये बहस कि अब हिन्द ओ पाक में
वो कौन है कि शायर-ए-आज़म जिसे कहें [...]

हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई होती रहती है

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हसीं चेहरों से सूरत-आश्नाई होती रहती है
समझ लो इब्तिदाई कारवाई होती रहती है

हमारी बीवी और महँगाई दोनों हैं सगी बहनें
हमारी जेब की अक्सर सफ़ाई होती रहती है [...]

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