कलकत्ता जो रहते थेShayari By 07 Apr 2023 06:42:51 AMSherकलकत्ता जो रहते थे गाँव वाले हँसते थे Continue Reading... Share on:
ला-मकाँ है वास्ते उन की मक़ाम-ए-बूद-ओ-बाशShayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherला-मकाँ है वास्ते उन की मक़ाम-ए-बूद-ओ-बाश गो ब-ज़ाहिर कहने को कलकत्ता और लाहौर है Continue Reading... Share on:
महरूम हूँ मैं ख़िदमत-ए-उस्ताद से 'मुनीर'Shayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherमहरूम हूँ मैं ख़िदमत-ए-उस्ताद से 'मुनीर' कलकत्ता मुझ को गोर से भी तंग हो गया Continue Reading... Share on:
कलकत्ता में हर दम है 'मुनीर' आप को वहशतShayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherकलकत्ता में हर दम है 'मुनीर' आप को वहशत हर कोठी में हर बंगले में जंगला नज़र आया Continue Reading... Share on:
सिसकती आरज़ू का दर्द हूँ फ़ुटपाथ जैसा हूँShayari By 26 Jan 2021 12:30:00 PMSherसिसकती आरज़ू का दर्द हूँ फ़ुटपाथ जैसा हूँ कि मुझ में छटपटाता शहर-ए-कलकत्ता भी रहता है Continue Reading... Share on:
कोई छींटा पड़े तो 'दाग़' कलकत्ते चले जाएँShayari By 29 Oct 2020 01:57:01 AMSherकोई छींटा पड़े तो 'दाग़' कलकत्ते चले जाएँ अज़ीमाबाद में हम मुंतज़िर सावन के बैठे हैं Continue Reading... Share on: