All English Shayari

bhul kar bhi na phir milega tu

bhul kar bhi na phir milega tu ...

adil-mansuri

kya daur hai ki jo bhi suKHanwar mila mujhe

kya daur hai ki jo bhi sukhanwar mila mujhe ...

adeeb-sohail

apne taKHayyulat ka naqsha nikal ke

apne takhayyulat ka naqsha nikal ke ...

adeeb-damohi

sab ki aankhon mein jo samaya tha

sab ki aankhon mein jo samaya tha ...

abu-mohammad-sahar

jo bojh hai dil par use kam karte rahenge

jo bojh hai dil par use kam karte rahenge ...

rauf-raheem

wo din kitna achchha tha

wo din kitna achchha tha ...

mohammad-alvi

aashnai ba-zor nain hoti

aashnai ba-zor nain hoti ...

abroo-shah-mubarak

ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे

ट्रेन मग़रिबी जर्मनी की सरहद में दाख़िल हो चुकी थी। हद-ए-नज़र तक लाला के तख़्ते लहलहा रहे थे। देहात की शफ़्फ़ाफ़ सड़कों पर से कारें ज़न्नाटे से गुज़रती जाती थ...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था

फिर शाम का अंधेरा छा गया। किसी दूर दराज़ की सरज़मीन से, न जाने कहाँ से मेरे कानों में एक दबी हुई सी, छुपी हुई आवाज़ आहिस्ता-आहिस्ता गा रही थी, ...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

वकालत

मंज़ूर है गुज़ारिश-ए-अहवाल-ए-वाक़ई ...

मिर्ज़ा-अज़ीम-बेग़-चुग़ताई

ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे

ट्रेन मग़रिबी जर्मनी की सरहद में दाख़िल हो चुकी थी। हद-ए-नज़र तक लाला के तख़्ते लहलहा रहे थे। देहात की शफ़्फ़ाफ़ सड़कों पर से कारें ज़न्नाटे से गुज़रती जाती थ...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

अन्न-दाता

(1) ...

कृष्ण-चंदर

बाँझ

मेरी और उसकी मुलाक़ात आज से ठीक दो बरस पहले अपोलोबंदर पर हुई। शाम का वक़्त था, सूरज की आख़िरी किरनें समुंदर की उन दराज़ लहरों के पीछे ग़ायब हो चुकी थी जो...

सआदत-हसन-मंटो

वापसी का टिकट

इंसान ने इंसान को ईज़ा पहुँचाने के लिए जो मुख़्तलिफ़ आले और तरीक़े इख़्तियार किए हैं उनमें सबसे ज़ियादा ख़तरनाक है टेलीफ़ोन साँप के काटे का मंत्र तो हो स...

ख़्वाजा-अहमद-अब्बास

क़लंदर

ग़ाज़ीपूर के गर्वमैंट हाई स्कूल की फ़ुटबाल टीम एक दूसरे स्कूल से मैच खेलने गई थी। वहाँ खेल से पहले लड़कों में किसी छोटी सी बात पर झगड़ा हुआ और मारपीट शुरू...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था

फिर शाम का अंधेरा छा गया। किसी दूर दराज़ की सरज़मीन से, न जाने कहाँ से मेरे कानों में एक दबी हुई सी, छुपी हुई आवाज़ आहिस्ता-आहिस्ता गा रही थी, ...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

जानकी

पूना में रेसों का मौसम शुरू होने वाला था कि पेशावर से अ’ज़ीज़ ने लिखा कि मैं अपनी एक जान पहचान की औरत जानकी को तुम्हारे पास भेज रहा हूँ, उसको या तो पूना...

सआदत-हसन-मंटो

बेगू

तसल्लियां और दिलासे बेकार हैं। लोहे और सोने के ये मुरक्कब में छटांकों फांक चुका हूँ। कौन सी दवा है जो मेरे हलक़ से नहीं उतारी गई। मैं आपके अख़लाक़ का मम...

सआदत-हसन-मंटो

wo jo har rah ke har moD pe mil jata hai

wo jo har rah ke har mod pe mil jata hai ...

abid-almi

pahle se pairahan mera itna udas aur

pahle se pairahan mera itna udas aur ...

abhishar-geeta-shukl
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