सुन ऐ कोह-ओ-दमन को सब्ज़ ख़िलअत बख़्शने वाले By Sher << सियासत के चेहरे पे रौनक़ ... क़ैस हो कोहकन हो या '... >> सुन ऐ कोह-ओ-दमन को सब्ज़ ख़िलअत बख़्शने वाले नहीं मिलता तिरे दर से ग़रीबों को कफ़न अब तक Share on: