सौ की इक बात मैं कही तो है यानी जो कुछ कि है वही तो है दीद-ए-वा-दीदा को ग़नीमत जान हासिल-ए-ज़िंदगी यही तो है तेरे दीदार के लिए ये देख जान आँखों में आ रही तो है ढह गया हो न ख़ाना-ए-दिल आज सैल-ए-ख़ूँ-चश्म से बही तो है वाँ भी राहत हो या न हो देखें इक मुसीबत यहाँ सही तो है मुझ सा उर्यां कहाँ है गुल उस के रंग के बर में इक यही तो है तेरे अहवाल से 'हसन' बारे उस को थोड़ी सी आगही तो है